विक्रमोत्सव 2025: समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का गौरवशाली उत्सव
भोपाल

मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित ‘विक्रमोत्सव 2025’ का भव्य आयोजन जिले में संपन्न हुआ। यह समारोह विक्रम संवत 2082 के शुभारंभ के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया, जिसमें प्रदेश के अनेक गणमान्य व्यक्तियों, विद्वानों, कलाकारों और बड़ी संख्या में जनसामान्य ने सहभागिता की।
सूर्य उपासना और संस्कृति का अद्भुत संगम
30 मार्च 2025 को प्रातः 10:00 बजे विक्रमोत्सव का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत पूर्व जिला राजगढ़ में सूर्य उपासना से हुई, जहाँ विद्वानों और कलाकारों ने भारतीय संस्कृति, परंपराओं और गौरवशाली इतिहास पर विस्तृत प्रकाश डाला। इस अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चार, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और विभिन्न धर्मों के विद्वानों के व्याख्यान आयोजित किए गए।

महाराजा विक्रमादित्य के जीवन पर विशेष नाट्य मंचन
इस भव्य आयोजन के तहत महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ, भोपाल एवं एमपी नाट्य विद्यालय द्वारा मंगल भवन, राजगढ़ में विशेष नाट्य प्रस्तुति दी गई। इस नाटक ने महान सम्राट विक्रमादित्य के जीवन, उनकी न्यायप्रियता, विद्वानों के संरक्षण और ऐतिहासिक योगदान को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। दर्शकों ने इस प्रस्तुति को अत्यंत सराहा और इसकी भव्यता की प्रशंसा की।
मंत्री गौतम टेटवाल का विशेष संबोधन
समारोह में तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री गौतम टेटवाल ने विशेष रूप से सहभागिता की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा,
“विक्रमोत्सव भारतीय संस्कृति, परंपराओं और ज्ञान-विज्ञान के सम्मान का प्रतीक है। यह हमें अपनी समृद्ध विरासत को सहेजने और नई पीढ़ी तक पहुँचाने की प्रेरणा देता है।”

उन्होंने इस भव्य आयोजन के लिए संस्कृति विभाग एवं आयोजन समिति को बधाई दी और इसे आगामी वर्षों में और अधिक भव्य बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
विक्रम संवत नववर्ष की शुभकामनाएँ
इस ऐतिहासिक अवसर पर मंत्री गौतम टेटवाल ने समस्त प्रदेशवासियों को विक्रम संवत 2082 के शुभारंभ की हार्दिक शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने सभी नागरिकों से अपनी संस्कृति, परंपराओं और ऐतिहासिक विरासत को सहेजने का आग्रह किया।
संस्कृति और परंपराओं का संगम बना विक्रमोत्सव 2025
यह भव्य आयोजन न केवल विक्रम संवत नववर्ष के आगमन का उत्सव था, बल्कि भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परंपराओं को भी उजागर करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बना। इस उत्सव ने समस्त प्रदेशवासियों को अपने इतिहास, संस्कृति और लोक कलाओं के प्रति और अधिक जागरूक और गर्वित होने की प्रेरणा दी।

