चमक के पीछे छिपा ज़हर – अब तो जागो शहरवासियों

✍️ विक्की पारधी, आमला
नगर में आये दिन होने वाले धार्मिक जुलूसों और राजनीतिक रैलियों में आकर्षक सजावट के नाम पर पन्नी कर्तन का जमकर उपयोग किया जा रहा है। रंग-बिरंगे पन्नी के टुकड़े भले ही चकाचौंध पैदा करते हों, लेकिन इनके पीछे छिपा खतरा कहीं बड़ा है। यह दिखावटी चमक प्रकृति का दम घोंट रही है।
रैली और जुलूस समाप्त होने के बाद सड़कों पर बिखरे पन्नी कर्तन न तो गलते हैं, न सड़ते हैं। बरसात के पानी के साथ यह नालियों में बहकर जलभराव और गंदगी फैलाते हैं। यही नहीं, समय के साथ ये टुकड़े माइक्रोप्लास्टिक में बदलकर पेयजल व हवा को भी जहरीला बना रहे हैं।
पर्यावरणप्रेमी कमल हुरमाडे, सदाराम झरबड़े और सीएल पंवार का कहना है कि आज की यह चकाचौंध कल हमारे बच्चों के स्वास्थ्य और जीवन के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती है।

गौरतलब है कि सरकार ने सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया है, बावजूद इसके प्रशासनिक अनदेखी के कारण पन्नी कर्तन का कारोबार और उपयोग बेखौफ जारी है। सुबह सफाई कर्मचारी घंटों मेहनत कर इन बिखरी पन्नियों को एकत्रित करते हैं, लेकिन ज़रा-सी हवा चलने पर ये फिर से उड़कर सड़कों पर फैल जाती हैं।
स्थानीय दुकानदार योगेश पाल, चंदु यादव, असलम खान, रामरतन जौंजारे और ललित का कहना है कि जब छोटे व्यापारी को पॉलीथिन रखने पर जुर्माना भरना पड़ता है, तो फिर रैलियों और जुलूसों में पन्नी कर्तन पर कार्रवाई क्यों नहीं होती?
इसी तरह नगरजन चंदु देशमुख, देवीदास खाड़े, रामचरण, पवन कोरड़े, विजय नागले और शिव साहू ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने जल्द सख्त कदम नहीं उठाए, तो आने वाले वक्त में आमला ही नहीं, पूरा क्षेत्र प्लास्टिक के जंजाल में जकड़ जाएगा।

