नक्सलियों का पत्र- अब जंगलों में सुरक्षित नहीं नक्सली।

नक्सलियों का पत्र- अब जंगलों में सुरक्षित नहीं नक्सली।

 


बीजापुर – जिले में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा निर्धारित मार्च 2026 की डेडलाइन का असर अब नक्सली संगठन पर साफ नजर आने लगा है। हाल ही में अंडरी के पहाड़ी क्षेत्र में हुई मुठभेड़ के बाद सुरक्षा बलों को गोंडी भाषा में लिखा गया एक पत्र मिला, जिसमें नक्सली लीडर मोंटू ने महिला नक्सली कमांडर मनकी को संगठन की मौजूदा स्थिति को लेकर लिखा है। पत्र में नक्सलियों के सुरक्षित ठिकाने खत्म होने और लगातार बढ़ते फोर्स के दबाव का जिक्र किया गया है।

पत्र से स्पष्ट होता है कि नक्सली अब सुरक्षित स्थानों पर भी ठहरने में असमर्थ हैं। अंडरी के अलावा बोडका, गमपुर, डोडीतुमनार और तोड़का के जंगलों को भी असुरक्षित बताया गया है। पत्र में पिछले एक साल से नक्सलियों में व्याप्त दहशत का जिक्र भी किया गया है। सुरक्षा बलों द्वारा लगातार किए जा रहे ऑपरेशन प्रहार के चलते अब तक सैकड़ों नक्सली मारे जा चुके हैं, कई ने आत्मसमर्पण कर दिया है और कई गिरफ्तार हो चुके हैं।

बीते दो दशकों से पामेड़, तर्रेम, गंगालूर, मिरतुर, नेलसनार, उसूर, बासागुड़ा, कुटरू, फरसेगढ़, तोयनार, जांगला, मद्देड़ और बेदरे थाना क्षेत्र के सैकड़ों गांव नक्सलियों के कब्जे में थे। इन इलाकों में सुरक्षा बलों की पहुंच मुश्किल थी, लेकिन अब केंद्र सरकार के सहयोग से राज्य सरकार ने ‘नियद नेल्लानार योजना’ के तहत नए सुरक्षा कैंप स्थापित कर इन क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है। इसका परिणाम यह हुआ कि नक्सलियों की गतिविधियां इन इलाकों में लगभग समाप्त हो गई हैं।

सुरक्षा बलों द्वारा लगातार बढ़ते ऑपरेशन और इलाके में बनाए जा रहे सुरक्षा कैंपों के कारण नक्सली संगठन भारी दबाव में आ चुका है। मुठभेड़ों की बढ़ती संख्या और सुरक्षित ठिकानों की कमी ने नक्सलियों के अंदर डर का माहौल पैदा कर दिया है। सरकार के सख्त रवैये और सुरक्षा बलों की सक्रियता को देखते हुए यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में नक्सली संगठन पूरी तरह कमजोर हो सकता है।

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