जले हुए नोटों से बिकी हुई न्याय व्यवस्था का काला सच?
जस्टिस चिन्नास्वामी स्वामीनाथन कर्णन एक अद्वितीय व्यक्ति हैं, जिन्होंने न्यायपालिका में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। वह मद्रास उच्च न्यायालय के पहले दलित न्यायाधीश थे और न्यायाधीश रहते हुए जेल की सजा काटने वाले पहले न्यायाधीश भी बने।
उन्होंने 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा, जिसमें 20 न्यायाधीशों के भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। यह पत्र एक बड़ा विवाद बन गया और संवैधानिक संकट पैदा हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराया और छह महीने की जेल की सजा सुनाई ?
हालांकि, अब यह स्पष्ट हो गया है कि जस्टिस कर्णन सही थे। एक जज के घर से करोड़ों रुपये का काला धन बरामद होने से यह साबित होता है कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है। जस्टिस कर्णन का यह कदम न्यायपालिका को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि भविष्य में ऐसे और भी जज होंगे जो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएंगे।