आकावाणी भोपाल में होली पर शब्दों की बौछार…

आ गया है रंगों का त्यौहार तो रंग नफरत का दिल से मिटा दीजिये

 

फाल्गुन मास आते ही फ़िज़ाओं में होली के आगमन की ख़ुशी फ़ैल जाती है. रंगों की बौछार, उल्लास और उमंग से दिल भर आता है. कवियों की कलम हास्य के साथ साथ श्रृंगार रस में डूबने लगती है. ऐसे ही पांच चुनिंदा कवियों के आकाशवाणी भोपाल ने शब्दाँजलि कार्यक्रम में आमंत्रित किया हास्य कवि सम्मलेन में जिन्होंने आमंत्रित श्रोताओं के समक्ष अपनी कविताओं से गुदगुदाया. सर्वप्रथम युवा कवि कुमार चन्दन ने होली में होनी वाली मिलावट पर व्यंग कसा ” सोना लिया सुनार से आलू निकल गया, रंगों की डिब्बीयों में बालू निकल गया”, कुमार चन्दन ने जोगीरा सुनाते हुए कहा ” रंग गुलाबी नीला पीला हरा बैंगनी लाल, रंग देंगे सब रंगों से गोरे गोरे गाल, जोगीरा सा रा रा र…. ” श्रोताओं की इस भरपूर दाद मिली. इसके बाद मंच पर आई गीतकार डॉ. प्रार्थना पंडित ने होली पर प्रियतम से होने वाली ठिठोली ली बानगी प्रस्तुत की ” प्रीत डोर से बँधी हूं मैं सिंदूर से बंधी हूं, जैसे भी कहेगा मैं सब कर जाउंगी,
रंग और गुलाल लिये आया है सनम तू,ऐसा ना समझना कि मैं तो डर जाउंगी ” एक और कविता युवा प्रेम पर केंद्रित थी ” प्यार फोन पे जताता है, शिकवे शिकायत करता है, कैसा पागल लड़का है वो, बेकल बेकल फिरता है” युवा श्रोताओं ने इसे बहुत पसंद किया. तत्पश्चात मंच पर आए हंसी के प्रसिद्ध कवि दीपक शुक्ला ‘दनादन’ जिन्होंने अपनी कविताओं से श्रोताओं को खूब हंसाया. उन्होंने कहा “अरे साली को जो रंग लगाया घरवाली को गुस्सा आया लंबा भाषण मुझे सुनाया देखकर गाली कर दनादन”. दीपक दनादन ने नसीहत देते हुए अगली कविता में कहा “बड़ी ना उम्र ना कद ना नाम होना चाहिए बडा तो आदमी का काम होना चाहिए”. इसके बाद मंच पर आई कवि सम्मेलन का संचालन करने वाली युवा कवियित्री सुनीता पटेल उन्होंने अपनी कविता में कहा “आ गया रंगों का त्यौहार तो, रंग नफरत का दिल पे हो रंग खुशियों भरे, सबको दिल से बस यही दुआ दीजिये.” अगली कविता में सुनीता ने कन्हैया की होली का चित्र खींचा ” गौरी गौरी राधा के संग होली खेले श्याम, इक दूजे को रंग में रंग के, रंग गया गोकुलधाम, जोगीरा सा रा रा र… ” तत्पश्चात मैच पर आये वरिष्ठ कवि राजेंद्र गट्टानी ने अपनी हास्य चुटकियों से उपस्थित जन समूह का मन जीत लिया. आपने कहा ” कुछ खरी बातों पर जब वो लाल पीले हो गए, तो बिन गुलाल और रंग के होली हमारी मन गयी. एक और कविता में होली की मस्ती में आपने समाज को राह दिखाते हुए कहा ” अपनी कोठी से निकले और झांकें उनकी खोली में, शिशुओं का आहार नहीं जिन माता की झोली में, तो आओ उनके जीवन में भी खुशियों के कुछ रंग भरे, व्यर्थ न जाए पर्व रंग का यूं ही हंसी टिटौली में. तालियो की गड़गड़ाहट के बीच आकाशवाणी भोपाल के उप महानिदेशक अभियांत्रिकी श्री यशवंत चिवंडे ने अपने उद्बबोधन में कहा कि होली का त्यौहार हम सबके जीवन में उल्लास उमंग और उत्साह का सृजन करता है. आकाशवाणी भोपाल के कार्यक्रम प्रमुख राजेश भट्ट ने इस अवसर पर कहा कि होली के अवसर पर रंगों के साथ-साथ शब्दों की बौछार ने सभी को उमंग से भर दिया है. कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी भोपाल की वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी अनामिका चक्रवर्ती ने किया.

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